Headlines

“एक अधिकारी की लड़ाई: झूठ के विरुद्ध सच की पुकार” “

“एक अधिकारी की लड़ाई: झूठ के विरुद्ध सच की पुकार”

 

एक अफसर… जिसकी ज़िंदगी का हर दिन राज्य के नाम रहा।
जिसने सूचना के माध्यम से सरकार और जनता के बीच एक भरोसे का पुल बनया

आज वही अफसर, डीजी सूचना बंशीधर तिवारी , सोशल मीडिया की झूठी अफवाहों का शिकार बन गए हैं। ये “आरोप नहीं, यह आत्मा पर प्रहार है”
तस्वीरों के पीछे का सच अक्सर लोग नहीं देख पाते।

शब्दों की दुनिया में जब चरित्र पर आघात होता है, तो वह सिर्फ सम्मान नहीं छीनता — वह एक जीवन की मेहनत, ईमानदारी और निष्ठा को अपमान के अंधेरे में धकेल देता है।
डीज़ी सूचना ने कहा कि
“मेरे खिलाफ बेबुनियाद बातें फैलाई जा रही हैं…”
— ये शब्द किसी साधारण अधिकारी के नहीं थे। ये उस व्यक्ति की पीड़ा थी जिसने सूचना विभाग को न केवल पेशेवर गरिमा दी, बल्कि खुद की पहचान एक सादगी भरे, इंसान के रूप में पेश करी..
और बोलता है उत्तराखंड
“यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, संस्थागत गरिमा पर हमला है”
जब अफवाह फैलाने वालों ने बिना तथ्यों के सोशल मीडिया पर आरोप लगाने शुरू किए, तब उन्होंने सिर्फ एक इंसान को नहीं, बल्कि जनसंचार की मर्यादा और लोकतंत्र के संवाद की गरिमा को चोट
पहुँचाई।
डीजी सूचना बंशीधर तिवारी तिवारी जी ने एसएसपी को तहरीर सौंपते हुए कहा:

ये भी पढ़ें:   बीमित ऋण उपरांत बैंक कर रहा विधवा अनीता को प्रताड़ित; डीएम ने दिया बैंक की आरसी जारी करने के निर्देश

“मेरी छवि को धूमिल करने का यह प्रयास व्यक्तिगत नहीं, सुनियोजित लगता है। मैं न्याय चाहता हूँ, बदले की भावना नहीं।”

उठा सवाल “क्यों चुप रहे आप?”
यह सवाल अब समाज से है। जब एक कर्मठ अधिकारी का अपमान हुआ, तो कितनों ने उसकी साख के पक्ष में आवाज़ उठाई?..

क्या अब भी हम अफवाहों और ट्रोल्स की भीड़ को सच मानते रहेंगे?
पूछता है उत्तराखंड

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *